प्रकाशानंद को लेकर झूठ बोल रहे हैं कृपालु महाराज
प्रकाशानंद को लेकर झूठ बोल रहे हैं कृपालु महाराज
यौन उत्पीड़न के 20 मामलों में अमेरिका की एक अदालत से सजायाफ्ता स्वामी प्रकाशानंद सरस्वती के फरार हो जाने की खबर 'लीजेण्ड न्यूज़' को छोड़कर अधिकांश हिंदी अखबारों ने भले ही प्रकाशित न की हो लेकिन देश के अंग्रेजी अखबारों टाइम्स ऑफ इण्डिया व इंडियन एक्सप्रेस आदि ने इसे प्रमुखता से छापा था। 'लीजेण्ड न्यूज़' ने अपनी खबर में प्रकाशानंद को तथाकथित जगद्गुरू कृपालु महाराज का शिष्य बताया था।
इसके बाद वृंदावन स्थित कृपालु आश्रम के प्रवक्ता की ओर से कहा गया कि प्रकाशानंद से कृपालु महाराज का अब कोई सम्बन्ध नहीं है। आश्रम की इस सफाई को आगरा से प्रकाशित एक हिंदी दैनिक ने छापा भी कि अमेरिका प्रकरण संज्ञान में आते ही कृपालु महाराज ने प्रकाशानंद से सम्बन्ध विच्छेद कर लिये थे। वर्तमान में वह कहां हैं और किस स्थिति में हैं, यह जानकारी न तो जगद्गुरू को है और न ही उनके आश्रम को।
'लीजेण्ड न्यूज़' ने इसके बाद एक खबर और छापी जिसका शीर्षक था- 'कहीं मार तो नहीं डाला प्रकाशानंद'' ।
इस खबर के बाद दिल्ली में कृपालु महाराज के न्यास ने एक बयान जारी करके कहा है कि कृपालु महाराज शिष्य बनाने की परम्परा के सख्त खिलाफ हैं. महाराज जी ने कभी शिष्य नहीं बनाए और उन्होंने कभी किसी को गुरुमंत्र नहीं दिए.
बयान में कहा गया है, यह गौर करने लायक है कि प्रकाशानंद सरस्वती जगद्गुरु शंकराचार्य ब्रह्मानंद सरस्वती (एक संन्यासी) के शिष्य हैं. जगद्गुरु कृपालु जी महाराज गृहस्थ हैं और वैष्णव हैं.
यह बयान कृपालु महाराज के न्यास ने एक समाचार पत्र में प्रकाशित खबर की प्रतिक्रिया स्वरूप जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि अमेरिका में एक मामले में वांछित स्वामी प्रकाशानंद सरस्वती जगद्गुरु कृपालु जी महाराज से जुड़े हुए हैं.
न्यास के अनुसार, देश-विदेश में अनेक लोग अपने गुरू के कार्यो और ईश्वर के प्रति उनके अगाध समर्पण से प्रभावित होकर उनका शिष्य होने का दावा करते हैं. बयान में कहा गया है, ऐसी परिस्थितियों में गलत धारणाएं पैदा करना और यह कहकर लोगों को भ्रम में डालना कि कोई वांछित अपराधी उनका शिष्य है या उनके अधीन किसी न्यास की गतिविधियों से जुड़ा है, निश्चितरूप से निंदनीय है.
उल्लेखनीय है कि स्वामी प्रकाशानंद सरस्वती को अमेरिका में टेक्सास की अदालत ने मार्च 2011 में बच्चों के साथ अश्लील हरकतों के 20 मामलों में सजा सुनाई थी.
अदालत ने करीब 80 वर्षीय प्रकाशानंद सरस्वती को उनकी गैरमौजूदगी में प्रत्येक आरोप के लिए 14 साल कैद की सजा सुनाई थी. उन्हें 12 लाख डॉलर के मुचलके पर जमानत दी गई लेकिन वह भाग खड़े हुए। अदालत ने उनकी जमानत राशि जब्त कर ली । अमेरिकी मार्शल्स को अब उनकी तलाश है. अमेरिकी मार्शल्स को संदेह है कि प्रकाशानंद अपने अनुयायियों की मदद से भारत भाग आया है।
जो भी हो लेकिन यहां सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर पहले तो कृपालु महाराज के प्रवक्ता ने यह क्यों कहा कि अमेरिका प्रकरण संज्ञान में आते ही कृपालु महाराज ने प्रकाशानंद से सम्बन्ध विच्छेद कर लिये थे। वर्तमान में वह कहां हैं और किस स्थिति में हैं, यह जानकारी न तो जगद्गुरू को है और न ही उनके आश्रम को। फिर अब कृपालु न्यास को यह क्यों कहना पड़ा कि न्यास ने एक समाचार पत्र में प्रकाशित उस खबर की प्रतिक्रिया स्वरूप यह बयान जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि अमेरिका से एक मामले में वांछित स्वामी प्रकाशानंद सरस्वती, जगद्गुरु कृपालु जी महाराज से जुड़े हुए हैं.
अब हम आपके सामने एक-दो नहीं, पूरे दस ऐसे फोटो रख रहे हैं जिनसे न सिर्फ कृपालु से प्रकाशानंद के जुड़े होने बल्कि अत्यंत निकटता एवं प्रकाशानंद की कृपालु के लिए महत्ता का भी साफ पता लगता है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि कृपालु के प्रवक्ता तथा उसके न्यास द्वारा प्रकाशानंद से अपने सम्बन्धों को झुठलाये जाने का दावा कितना झूठा है और उसके पीछे कोई साजिश छिपी है।
निश्चित ही उनके इस झूठ ने कई और सवाल खड़े कर दिये हैं और यह सवाल कृपालु महाराज को संदेह के घेरे में लेते हैं।
कृपालु आश्रम के वृंदावन प्रवक्ता की आगरा से प्रकाशित अखबार में छपी यह सफाई कि वर्तमान में प्रकाशानंद कहां हैं और किस स्थिति में हैं, यह जानकारी न तो जगद्गुरू को है और न ही उनके आश्रम को। और कल न्यास की ओर जारी किया गया इस आशय का बयान कि देश-विदेश में अनेक लोग अपने ''गुरू'' के कार्यो और ईश्वर के प्रति उनके अगाध समर्पण से प्रभावित होकर उनका शिष्य होने का दावा करते हैं. बयान में कहा गया है, ऐसी परिस्थितियों में गलत धारणाएं पैदा करना और यह कहकर लोगों को भ्रम में डालना कि कोई वांछित अपराधी उनका शिष्य है या उनके अधीन किसी न्यास की गतिविधियों से जुड़ा है, निश्चितरूप से निंदनीय है.
कृपालु न्यास की ओर से प्रस्तुत इस सफाई में भी गौर करने लायक हैं वह शब्द जिन्हें ऊपर अंडरलाइन किया गया है। यहां न्यास ने खुद गुरू शब्द का प्रयोग किया है जो सिद्ध करता है कि कृपालु महाराज अपने अनुयायियों को शिष्य ही मानते हैं।
स्पष्ट है कि प्रकाशानंद के संदर्भ में कृपालु के प्रवक्ता और न्यास के बयान ही भ्रामक हैं और सिर्फ उस संभावित पूछताछ से बचने की कोशिश में दिये गये हैं, जिसकी आशंका 'लीजेण्ड न्यूज़'' ने व्यक्त की है कि कहीं प्रकाशानंद को मार तो नहीं दिया गया।
प्रकाशानंद से कृपालु महाराज की अंतरंगता और उनके महत्व को दर्शाते शेष 9 फोटो नीचे देखें-
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